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चंद घंटों का सैलाब, बरसों की आफत

चंद घंटों का सैलाब, बरसों की आफत

एक-एक कस्बे को बसाने और संवारने में सदियां लग जाती हैं. पर उजड़ने में सिर्फ चंद मिनट. आसमान से बारिश की शक्ल में आई आफत फकत चंद घंटे की थी. पर उस आफत से उबरने में कश्मीर को बरसों लग जाएंगे. बादल में लिपट कर आई पहाड़ी सुनामी ने कश्मीर के कई इलाकों के नामो-निशान तक मिटा दिए हैं. गुस्साए बादल में लिपटी मौत के बाद आंसुओं की सुनामी जब थमेगी तो लरजती घाटी और खामोश नदी की लहरें अपने पीछे ना जाने कैसी-कैसी कहानियां छोड़ जाएंगी.

vaardat program on kashmir floods

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