एक एनकाउंटर के दौरान आतंकी के साथ उसके घरवालों की बात कराई जाती है. घरवाले अपने बेटे को सरेंडर करने की सलाह भी देते हैं. लेकिन बेटा किसी की बात नहीं मानता और मारा जाता है. इस हालत में घरवाले ना सिर्फ अपने बेटे को आतंकी मान लेते हैं, बल्कि उसकी लाश तक लेने से मना कर देते हैं.पूरा देश आतंकी के देशभक्त पिता और परिवार को सलाम करता है, लेकिन तीन रोज बाद अचानक मामले में नया ट्विस्ट आ जाता है. ट्विस्ट एनकाउंटर के एनकाउंटर का, घरवालों की नफरत के बीच बाहर वालों की हमदर्दी का.