scorecardresearch
 
Advertisement

एक 'दीमापुर' और जहां चौराहे पर ली गई आरोपी की जान

एक 'दीमापुर' और जहां चौराहे पर ली गई आरोपी की जान

किसी भी गुनहगार को कानून की नजर में गुनहगार ठहराने के लिए सुबूतों और गवाहों की दरकार होती है. कहने का मतलब ये कि इंसानों की बस्ती में इंसाफ की कसौटी पर कसे बगैर कोई भी फैसला इंसाफ नहीं हो सकता लेकिन अगर कहीं शक की बिनाह पर ही किसी को सजा दे दी जाए और वो भी बर्बर और ग़ैरइंसानी तरीके से, तो इसे आप क्या कहेंगे? दीमापुर में के बाद अब उत्तर पूर्वी सूबे के नागालैंड से भीड़ का ऐसा ही एक और चेहरा सामने आया है.

Advertisement
Advertisement