अमजद साबरी के जनाजे में मानो पूरा कराची उमड़ पड़ा. शहर ने शायद ही इससे पहले ऐसा कोई जनाज़ा देखा हो. और हो भी क्यों नहीं. जब अमजद फरीद साबरी लियाकतबाद आकर बसे थे तो उनके पीछे-पीछे पूरा कराची ही मानो लियाकतबाद में बस गया था.