दिल्ली ने पांच साल पहले दिसंबर 2012 में निर्भया की शक्ल में एक उबाल देखा था, मगर वो उबाल भी बस शोर बन कर रह गया. आंसू बेकार चले गए क्योंकि निर्भया के बाद भी सिलसिला नहीं थमा. किसी की आबरू से खेलना, जिंदगी रौंद डालना कोई खेल नहीं है, मगर ये खेल अब भी जारी है. आजाद घूमते जिस्म के भूखे दानवों पर अब भी कोई लगाम नहीं है. नतीजा वो आज भी बेखौफ सड़कों पर गिद्ध की तरह शिकार की तलाश करते और जहां मौका मिलता वहीं झपट पड़ते.
VARDAAT EPISODE OF 6TH JAN 2017 ON MOLESTATION RAPE CRIME AGAINST WOMEN