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खून के रिश्तों पर भारी जीत की हवस

खून के रिश्तों पर भारी जीत की हवस

क्या कहने सियासत के और क्या कहें ऐसी सियासत करने वाले नेताओं के बारे में? क्या-क्या नहीं हुआ राजनीति में. क्या-क्या नहीं किया गया चुनाव जीतने के लिए. सीजिशें हुईं, दंगे हुए, झगड़े हुए, खरीद-फरोख्त हुई और यहां तक कि बैलेट को बुलेट से भी मारा गया. मगर चुनावी दरिया पार करने के वास्ते हमदर्दी को लहर बनाने के लिए कोई नेता अपने ही भाई और जीजा की सुपारी देकर उसे मरवा दे, सोच से भी परे की चीज लगती है.

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