बस कुछ दिन पहले तक कोई वहां जाने की सोच भी नहीं सकता था. बाहरी लोगों को छोड़िए खुद इराकी फौज और इराकी अवाम भी वहां जाने से घबराती थी. यहां तक कि खुद उस शहर के हजारों लोग जान बचाने के लिए दूसरे शहर भाग गए, क्योंकि इस शहर को आईएसआईएस के सरगना अबू बकर अल बगदादी ने अपने आतंक की राजधानी घोषत कर रखा था. बगदादी को पहली और आखिरी बार भी दुनिया ने इसी शहर में देखा था. मगर इराक के उसी शहर मोसूल में आजतक जा पहंचा. सिर्फ इसलिए ताकि मोसूल की ज़मीनी हकीकत और तीन साल पहले वहां से बंधक बनाए गए 39 भारतीयों का सच सामने ला सके जो अब तक लापता हैं...