बगदादी दहशत की मशाल लेकर इंसानियत की लौ बुझाने के लिए रेगिस्तान से निकल चुका है. बस यूं समझिए कि वो हिंदुस्तान की चौखट पर खड़ा है. जिसने लाल शाहबाज़ कलंदर के गुलिस्तां को कुछ इस तरह कुचला कि उसमें सिर्फ कांटें बचे हैं. हिंदुस्तान भी इस सच से आंखें नहीं मूंद सकता कि बगदादी पाकिस्तान तक पहुंच चुका है. पाकिस्तान को तो बगदादी ने सिर्फ बेस बनाया है. वरना नज़र तो इसने पूरे साउथ ईस्ट एशिया पर गड़ा रखी है.