ये दुनिया एक वारदात है और इस वारदात की आखिरी इंतेहा ये है कि इंसान खुद अपना क़ातिल बन जाता है. इससे बड़ा हमला वो इस वारदात के खिलाफ कर ही नहीं सकता. जो लोग खुदकश बमबाज़ों या खुदकुशी करने वालों पर, आत्मघाती सोच के मनोविज्ञान पर रिसर्च कर रहे हैं उनको इस जुमले पर शोध करना चाहिए.इससे पहले कि आज की वारदात से आपको रूबरू कराएं, एक गुज़ारिश आप सबसे. मांग कीजिए कि बच्चों के पाठ्यक्रम में एक सबसे ज़रूरी सब्जेक्ट जोड़ा जाए और वो है ज़िंदगी जीने के तरीके. ध्यान रहे ये एक चैप्टर नहीं बल्कि एक सब्जेक्ट होना चाहिए. तो आइए अब उस वारदात की तरफ चलें जिसमें समझ की कमी है. यक़ीन की कमी है. जो सामने है झूठ है. जो नहीं है वही सच है.