आंखों ही आंखों में इशारा होता था.. और बैठे बैठे जीने का सहारा होता था.. मगर यूपी में योगी जी की पुलिस अब तो बस आंखें देख कर बता देती है कि किसकी आंखें गुस्ताखियां कर रही हैं और किसकी आंखें शराफत में झुक या उठ रही हैं. बस यूं समझिए की यूपी पुलिस की आंखें अचानक पारखी भी हो गई हैं और तेज़ भी. तभी तो उन आंखों ने ये दावा किया है कि वो उन आंखों को, आंखों ही आंखों में पहचान लेंगी जो सड़कछाप रोमियो या मजनूं लिए घूमते हैं. यानी यूपी में अब नैना ठगेंगे नहीं बल्कि नैना धर लेंगे.एक आंखें और इतना हुनर.. मगर हर आंखों में ये हुनर कहां.. आंखों में ये अदा ये कज़ा तो ऊपर वाला बस कुछ चुनिंदा आंखों को ही देता है.. और जिनके पास ये आंखें हैं.. उन आंखों से पनाह मांगिए.. क्योंकि ये आंखें आंखों में आंखे डालकर राज़ जान लेती हैं.. आंखों का यही हुनर यूपी के थानेदारों की आंखों में उतर आया है.. बेहद पारखी.. इतनी की ये आंखें देखकर बता देती हैं.. कि आंखें खानदानी हैं.. या सड़क छाप.. ऐहतराम करेंगी.. या रुसवा करेंगी..