फैशन डिजाइनर बनने जा रही उस मासूम लड़की की चीखें भी शायद घुट-घुट कर मर गईं, जो मजदूर बाप के सपनों में रंग भरने के लिए बेताब थी. झुग्गी में रहने के बावजूद उसके सपनों की उड़ान कम नहीं हुई. लेकिन उसकी ये चाहत, ये सपने, ये उम्मीदें, ये हसरत सब अधूरे रह गए. यह सब कुछ एक नाबालिग लड़के की सनक के चलते हुआ है.