जेब जब ढीली होती है तो अच्छे-अच्छों को लाइन पर ले आती है. वरना सोचिए- वही सड़कें, वही गाड़ियां, वही लाल बत्ती, वही हेलमेट, वही सीट बेल्ट, वही ट्रैफिक के नियम. पर ज़रा सा नोटों का रंग और साइज क्या बदला सब कुछ बदल गया. सड़कों पर खौफ पसर गया. लोग अपनी-अपनी गाड़ियों के आरसी, लाइसेंस, इंश्योरेंस और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट ढूंढने लगे. लाल बत्ती को निहार-निहारकर उसके हरी होने का इंतजार मुस्कुरा कर करने लगे. लेकिन कई जगहों पर दर्द-ए-चालान ऐसा छलका कि उसकी हर झलक झलकियां बन गईं.