पाकिस्तान यूं ही आतंकियों का स्वर्ग के नाम से बदनाम नहीं है. अकेले इस मुल्क में 70 हज़ार से ज़्यादा लोग सिर्फ़ आतंकवादी हमलों में मारे जा चुके हैं. इन हालात के लिए पाकिस्तान के हुक्मरान चाहे लाख बहाने ढूंढें, मगर हक़ीक़त यही है कि आतंकवाद को ख़त्म करने को लेकर पाकिस्तान कभी गंभीर रहा ही नहीं. बल्कि वो तो आतंकवाद को खुलेआम बढ़ावा देता रहा है. ऐसे में पुलवामा हमले के बाद एक बार फिर दबाव में आकर ही सही पाकिस्तान ने अपने आतंकी संगठनों पर कार्रवाई का पुराना हथकंडा आज़माया है. कई आतंकी हिरासत में लिए हैं, सत्तर से ज़्यादा संगठनों पर पाबंदी लगी है,लेकिन सवाल वही पुराना है, ये भी बस ड्रामा ना हो.
Pakistan has been heaven for terrorist. In this country alone, more than 70 thousand people have been killed in terrorist attacks.For these circumstances, Pakistan leaders should find millions of excuses, but it is indeed that Pakistan has never been serious about ending terrorism.