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वारदात: कोरोना का ऐसा खौफ क‍ि मुर्दों से भाग रहे ज‍िंदा लोग

वारदात: कोरोना का ऐसा खौफ क‍ि मुर्दों से भाग रहे ज‍िंदा लोग

मौत अब तक ज़िंदगी को डराती रही है. पर पहली बार है जब खुद मौत डरी हुई है. डरी हुई है कि अगर अभी वो मर गई तो क्या होगा? ना चार कांधे मिलेंगे ना श्मशान या कब्रिस्तान में जगह मिलेगी? यकीन मानिए इस वक्त का सच यही है. इस वक्त मौत से नहीं बल्कि मरने से डर लग रहा है. डर लग रहा है कि अगर अभी मर गए तो कोरोना के नाम पर पराए तो छोड़िए अपने भी मुर्दों से मुंह मोड़ लेंगे. जैसा इस वक्त देश और दुनिया के अलग-अलग इलाकों में हो रहा है. एक वायरस ने एक झटके में सबकुछ बदल दिया. ज़िंदगी मौत प्यार मुहब्बत रिश्ते नाते अपने-बेगाने सबकुछ. सारी सोच बदल दी. सारी ग़लतफहमी दूर कर दी. ज़िंदगी तो ज़िंदगी मौत के मतलब तक बदल दिए. लाशों की सूरत बदल दी. क़ब्र और चिता की सीरत बदल दी. जनाज़ों का रुख बदल दिया. अर्थी के रास्ते बदल दिए. लाशों से लिपट कर रोनेवाले दूर कर दिए. कांधा देनेवालों को मजबूर कर दिया. सच कहूं तो इस डरावने माहौल में फिलहाल मौत से नहीं बल्कि मरने से डर लग रहा है.

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