ये वाक्या है राजस्थान के बूंदी शहर का. बूंदी के ही एक पुलिसवाले का. इस पुलिसवाले की ज़िंदगी में वैसे तो सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक रोज़ वो अपने काम से घर के बाहर क्या निकला कि फिर कभी लौट कर ही नहीं पाया. उसे ढूंढ़ने में खुद उसके घरवालों से लेकर महकमे के लोगों ने अपनी पूरी ताक़त लगा दी क्योंकि ये मामला खुद उन्हीं महकमे का जो था. लेकिन शुरुआती कोशिश में उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. इस तरह करीब चार महीने गुज़र गए और फिर एक रोज अचानक गायब पुलिसकर्मी का सुराग़ मिला. सुराग़, एक सुनसान क़िले में दफ़्न कंकाल की सूरत में. देखें वारदात.