2008 की दिसंबर की एक सर्द सुबह दिल्ली से सटे नोएडा की निठारी ने जब अपने अंदर से एक के बाद एक बच्चों के कंगाल उगलने शुरू किए तो पूरा देश सन्न रह गया था. आजाद हिंदुस्तान में किसी आदमखोर की ऐसी दहलाने वाली कहानी इससे पहले किसी ने नहीं सुनी थी. अब आठ साल बाद उसी आदमखोर जल्लाद के फांसी के फंदे पर झूलने का वक्त आ गया है. निठारी के आदमखोर सुरेंद्र कोली की मौत के परवाने पर दस्तखत होते ही उसे फांसी पर लटकाने के लिए गाजियाबाद के डासना जेल से मेरठ जेल शिफ्ट कर दिया गया है.
Vardaat special episode in kohli