सीबीआई ने ऐलान भी किया. बातें भी कीं. चिट्ठी भी लिखी. मुलाकात भी की और तो और गंगा की धार रोकने के लिए भी सारे जतन भी किए. लेकिन वही नहीं किया, जो उसे करना चाहिए था. यानी कब्र खोद कर लाशें निकालना और जब उसे ऐसा करने का ख्याल आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि तब तक लाशों के साथ-साथ पूरी जांच ही पानी में जा चुकी थी. जी हां। हम बात कर रहे हैं उस बदायूं केस की जिसमें दो बहनों को मार कर पेड़ पर टांग दिया गया था.
vardat: cbi ignored instruction in badaun rape case