रात और सुबह के बीच का आखिरी पहर. पूरी दिल्ली की तरह तब करोल बाग की उस गली में भी सन्नाटा पसरा था, लेकिन इसी पहर गली के अंदर छह औरतें एक दुकान के बाहर आकर बैठ जाती हैं. वह कुछ ऐसा करती हैं जो आपकी सोच से परे है.