क्या कभी आपने सुना है कि किसी लुटने वाले को खुद पता ना हो कि उसका कितना लुट गया? वो भी तब जब बात करोड़ों की हो? भला इतनी मोटी रकम कोई भूल सकता है? शायद भूल सकता है. पर तब जब उसके पास इन पैसों का कोई हिसाब-किताब ही ना हो.