अपने शुरुआती दिनों में विजय कुमार नायडू एक मामूली इंश्योरेंस क्लर्क हुआ करता था. फिर उसने एक स्कूल खोला और फिर देखते-ही-देखते आध्यात्म की ऐसी दुकान चलाई कि इस मामूली इंश्योरेंस क्लर्क पर नोटों की बारिश होने लगी. अब वो बाबा नहीं, बल्कि खुद को भगवान बताने लगा था. बाबा ने आध्यात्म के साथ वेलनेस की ऐसी पैकेजिंग की कि विदेशी भक्त बाबा के पीछे खिंचे चले जाए. अब बाबा पर नोटों की नहीं, बल्कि डॉलर और यूरो की बारिश हो रही थी. लेकिन एक रोज इस भगवान के सितारे तब गर्दिश में आ गए, जब इनकम टैक्स और ईडी की टीमों ने इसके 40 ठिकानों पर एक साथ रेड की.