दिल्ली जीटी करनाल हाईवे पर एक कत्ल होता है. कत्ल की खबर पुलिस को मिलती है. पुलिस मौके पर पहुंचती है. अब यहां तक तो सब ठीक है. पर इसके आगे की जो कहानी है वो दिल्ली और देश क्या, दुनिया की किसी भी पुलिस के ज़ेहीन से ज़ेहीन दिमागी अफसरों की चूलें हिला दे. लाश है, पर कातिल का कोई सुराग नहीं. मकतूल है, पर उसका नाम नहीं. कत्ल हुआ और कातिल नहीं.