आंखों के सामने जवान बेटे की लाश पड़ी हो और कोई बाप उसे अपना बेटा कहने से भी मना कर दे... क्या ऐसा भी कभी होता है? आज कहानी एक ऐसे ही बाप की जिसने ना सिर्फ़ ऐसा कहा, बल्कि बेटे की लाश को हाथ तक लगाने से इनकार कर दिया...यकीनन जीते-जी इस बेटे ने अपनी बाप को ऐसी चोट पहुंचाई थी कि मौत के बाद भी काठ पड़ चुके कलेजे से मुहब्बत नहीं फूटी... आंखों से दो बूंद आंसू तक नहीं छलके... लेकिन आज इस बाप को पूरा हिंदुस्तान सलाम कर रहा है. जानते हैं क्यों? क्योंकि वो एक गद्दार आतंकी का देशभक्त बाप है.