वारदात में आज आपको बताएंगे दास्तान-ए-कश्मीर. आज़ाद हिंदुस्तान से पहले कश्मीर एक अलग रियासत हुआ करती थी. तब कश्मीर पर डोगरा राजपूत वंश के राजा हरि सिंह का शासन था. डोगरा राजवंश ने उस दौर में पूरी रियासत को एक करने के लिए पहले लद्दाख को जीता था. फिर 1840 में अंग्रेजों से कश्मीर छीना. तब 40 लाख की आबादी वाली इस कश्मीर रियासत की सरहदें अफगानिस्तान, रूस और चीन से लगती थीं. इसीलिए इस रियासत की खास अहमीयत थी. फिर सन 47 में आजादी के बाद तब पाकिस्तान नया-नया बना था. अब एक तरफ हिंदुस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान और बीच में ज़मीन का ये एक छोटा सा टुकड़ा...कश्मीर. एक आजाद रियासत...और यहीं से शुरू होती है कश्मीर की हमारी ये कहानी. देखें वारदात शम्स ताहिर खान के साथ.
As Rajya Sabha on Monday approved a resolution abrogating Article 370 for Jammu and Kashmir and a bill to bifurcate the state into two union territories. We bring to you the unknown story of Kashmir. By signing on this legal document, known as the Instrument of Accession, on October 26, 1947, Hari Singh, the Maharaja of Jammu and Kashmir, agreed that the State would become a part of India. Know whole story in Vardat.