इंसान इंसानियत को कब तक यूंही शर्मिंदा करता रहेगा? जंगलों से निकले हम इंसानों को सदियों बीत गए पर ना मालूम क्यों हम आज भी अपनी बस्ती से निकल कर जब-तब ना सिर्फ उसी जंगल मे पहुंच जाते हैं बल्कि खुद भी जंगली बन जाते हैं.