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Lal Qila पर कब्जा, आंदोलन के नाम पर उत्पात, आंसू-गैस, लाठी और पत्थर! देखें वारदात

Lal Qila पर कब्जा, आंदोलन के नाम पर उत्पात, आंसू-गैस, लाठी और पत्थर! देखें वारदात

दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर जो भी हुआ, वह पूरे देश को सकते में कर गया. ऐसा कभी नहीं होता था. तिरंगे का अपना स्थान होता है, ट्रैक्टर की अपनी जमीन, और विरोध प्रदर्शन की अपनी मर्यादा. सुबह राजपथ पर पूरे सम्मान के साथ तिरंगा फहराया गया. मौका खास था क्योंकि देश 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा था. पर अभी चार घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि उसी राजपथ से रीब 6 किलोमीटर दूर लाल किले की प्राचीर ने एक ऐसी तस्वीर दिखाई कि जिसे कोई भी आजाद हिंदुस्तानी आंखें देखना नहीं चाहती थी. आजादी के बाद ये पहला मौका था जब तिरंगे की जगह कोई और झंडा फहरा रहा था. भले ही कुछ वक्त के लिए हो. नामालूम कैसा विरोध था ये और किसका विरोध था ये. देखें वारदात, शम्स ताहिर खान के साथ

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