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जहां लगता है मुर्दों का बाजार...

जहां लगता है मुर्दों का बाजार...

जिंदा इंसानों की मंडी में अब मुर्दे भी खरीदे और बेचे जा रहे हैं. अब चूंकि मुर्दे बोलते नहीं, लिहाजा वो किससे और कहां शिकायत करें? बस यही वो चीज है जिसने इस कारोबार को हवा दे रखी है, पर जरा सोचें कि अगर मुर्दों के इस खरीद-फरोख्त के बाजार में खुद पुलिस वाले भी बोली लगाने लगें तो क्या होगा?

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