छठी और सातवीं क्लास में पढ़ने वाली लड़कियां ही अगर किताबों के बस्ते की जगह पीठ पर बम लाद लें तो इस दुनिया का क्या होगा? खेलन-पढ़ने की उम्र में ही कोई किसी को चलता-फिरता बम बना सकता है. ये सोच कर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं.