वो जेहेनियत जो मानती है कि औरत मर्द की बांई पसली से पैदा हुई है इसलिए मर्द से कमतर है. वो सोच जो कहती है कि आखिर औरत ऐसे कपड़े क्यों पहनती हैं जो मर्दों को बलात्कार के लिए उकसाते हैं. वो संस्कार जो सुसराल को औरत का असली घर मानते हों. वो मानसिकता जो बेऔलाद औरतों को छोड़ देने की वकालत करती है. ऐसी मुश्किलों के बीच हर रोज जीते-जी मर रही औरतों को आखिर कौन देगा सुरक्षा? महिला दिवस पर इन्हीं सुलगते सवालों के साथ आज देश की महिलाएं आपसे कुछ खास कहने आई हैं.