कई सालों तक वो लोगों के सिर काटता रहा. और फिर सिरकटी लाश सीधे ले जाकर तिहाड़ जेल के बाहर फेंक आता था. इस चुनौती के साथ कि पकड़ सको तो पकड़ लो. फिर एक रोज़ वो पकड़ा गया. लेकिन हैंरतअंगेज तौर पर छूट भी गया. उसके छूटते ही तिहाड़ जेल के बाहर सिर कटी लाश मिलने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया था. ये कहानी है चंद्रकांत जा की.