पाकिस्तान को कुछ और आए या ना आए कश्मीर पर रोना खूब आता है और इमरान खान तो इस कला में माहिर हैं. संयुक्त राष्ट्र मे इमरान खान फिर कश्मीर राग पर लौट आए हैं. उन्होंने सफेद झूठों की झड़ी लगा दी है लेकिन भारत ने पाकिस्तान के प्रोपगेंडा प्लान की धज्जियां उड़ाकर रख दीं हैं. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने नाम की घोषणा की और इमरान खान का सदाबहार अभिनय शुरु हो गया. मानवाधिकार के नाम पर घड़ियाली आंसू, इस्लाम की आड़ में भारत विरोधियों से मोहब्बत के तराने. इमरान खान के भाषण में दो ही मुद्दे थे- एक कश्मीर तो दूसरा तालिबान. कश्मीर पर उन्होंने दुष्प्रचार का दामन थामा तो तालिबान को मान्यता देने की वो आरजू-मिन्नतें करते दिखे. पाकिस्तान की बड़ी इच्छा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान के अतीत और गुनाहों को भूल जाए और उसकी महिला विरोधी और शरीयत को शीश झुकाने वाली सरकार को फौरन मान्यता दे दे. देखें ये एपिसोड.