लफ्ज़ खामोश हैं, सुर उदास और साज़ शोकमग्न, आज उनकी अधिष्ठात्री देवी अलविदा कह गईं. जो स्वर भारत की चेतना का था वो ब्रह्मांड में विलीन हो गया. नम आंखें, भारी दिल और हताश आवाज में दुनिया बोल रही है, जब कभी भी सुनेंगे गीत आपके संग-संग हम भी गुनगुनाएंगे और हां ये सच है कि लता दीदी हम कभी भी आपको भुला न पाएंगे. हिंदी सिनेमा का अगर हर दौर में गुनगुनाने वाला कोई गीत है तो उसकी आवाज लता मंगेशकर रहीं. वो हर दौर में कभी दर्द की आवाज बनीं तो कभी खुशियों की, कभी लोगों ने उनकी आवाज में सुकून तलाशा तो कभी उनके गीतों से सरहद पर खड़े जवानों को हौसला मिला. देखिए ये एपिसोड.