एक साल पहले जिस अन्ना हजारे के आंदोलन की तुलना गांधी और जेपी के आंदोलन से होने लगी थी, वो आंदोलन एक साल बाद सियासी अखाड़े में बेदम सा पड़ा हुआ है. जन लोकपाल के सवाल पर बनी टीम अन्ना को खुद अन्ना ने ही भंग कर दिया और अब उनके एक सहयोगी के हवाले से खबर आयी है कि अन्ना नहीं चाहते थे कि उनकी टीम चुनावी राजनीति में उतरे. लेकिन अन्ना के सुझावों को उनके सहयोगियों ने साफ-साफ दरकिनार कर दिया.