अन्ना को जेल भेजा गया था उनके आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए. सरकार ने सोचा कि पुलिस की ताकत से वो आंदोलन को कुचल देंगे, लेकिन हुआ उल्टा. अन्ना तिहाड़ को ही आंदोलन की रणभूमि बना दी. तिहाड़ से ही सरकार को चारोखाने चित्त कर दिया. जिस तिहाड़ में उन्हें कैदी बना कर भेजा गया था वहां वो मेहमान बन कर अपनी मर्जी से रहे. जेल में कैदियों पर अन्ना का ऐसा जादू चला कि वो उनके भगवान बन गए. जिस बैरक में उन्हें चंद घंटों के लिए रखा गया वहां पूजा शुरु हो गई.