एक तरफ योग गुरु बाबा रामदेव का सत्याग्रह और दूसरी ओर गांधीवादी अन्ना हज़ारे का अनशन. एक जैसे मुद्दे पर एक जैसा आंदोलन, लेकिन अंदाज़ बिल्कुल अलग-अलग. शायद ये अंदाज़ का ही फर्क है, जिसने अन्ना के आंदोलन को असरदार बनाया और बाबा रामदेव के सत्याग्रह को पुलिसिया दमन का शिकार.