जिस जनता ने सिर-आंखों पर बिठाया, उसी ने जुती की नोंक पर भी उछाला. तानाशाही का पहला और आखिरी पन्ना ऐसे ही लिखा जाता है. लेकिन किसी जननायक के तानाशाह तब्दील होने में और फिर उसके अत्याचारों की वजह बनते रहे हैं उसके बीवी-बच्चे.