पाकिस्तान में आतंकी दहशतगर्दी और कट्टरपंथ के खिलाफ उम्मीद की इकलौती आवाज फिर से दहाड़ने की तैयारी कर रही है. 14 साल की जिस मलाला यूसुफजई को तालिबान ने जान से मारने की कोशिश की, वो जिंदगी की जंग जीतने लगी है. उसकी सुधरती सेहत यह ऐलान कर रही है कि जीत गयी मलाल, हार गया तालिबान.