पैंसठ साल पहले धर्म के नाम पर हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ था. लेकिन तब भी लोगों को ये आजादी जरूर थी कि वो जहां बसना चाहें, वहां रहें, अपनी धार्मिक पहचान के साथ. लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए दिन पर दिन स्थिति बदतर होती चली गयी और 65 साल में हालात इस मोड़ पर आ गये कि जब हम आजादी का जश्न मना रहे हैं, उसी वक्त पाकिस्तान से सैकड़ों परिवार हिंदुस्तान में आ चुके हैं अपने जख्मों को समेटे हुए.