कल्पना कीजिए कि भ्रष्ट सत्ता के खिलाफ जनता का सैलाब उमड़ आया हो और पब्लिक का उत्साह बढ़ाने के लिए एक की जगह दो अन्ना हजारे मंच पर हों. बेशुमार समर्थक ओर दो-दो अन्ना. हकीकत में ऐसा हुआ नहीं, लेकिन रालेगण में जो मंच सजा वहां कम से कम दिखाई तो यही पड़ा.