सरकारी खर्चे पर पलते ये वो महाराजा हैं, जो लोकतंत्र में राजशाही की याद दिलाने वाले महाराजाओं के आगे झुक जाते हैं. सामने होती है तो आम मुसाफिरों की फजीहत, जिन्हें अपनी बुक कराई सीट से उतार दिया जाता है.