आखिरकार भोजन की गारंटी पर सरकार के सब्र का बांध टूट ही गया. खाद्य सुरक्षा बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. लेकिन वोट के लिए पेट को रास्ता बनाने का ये तरीका विरोधियों को खल गया है. लोग भी पूछ रहे हैं कि खाओ पीयो वोट दो का ये सिलसिला कबतक?