आध्यात्म के सफेद लिबास पर बलात्कार के दाग लगने लगे तो क्या होगा, क्या साधुओं का चोला पहन लेने से कोई संत कहला सकता है? आसाराम के सामने आज यही सवाल खड़ा है.