राजा, रंक, फकीर चाहे कोई भी हो, अपनी खाली झोली लेकर वो भगवान के दर पर पहुंच ही जाता है. वहां कोई बड़ा या छोटा नहीं होता. हर कोई वहां पहुंचता है कभी अपनी बिगड़ी संवारने के लिए तो कभी संवरी हुई किस्मत को बनाए रखने के लिए. तभी तो इन दिनों बड़ी-बड़ी हस्तियों में कोई तिरुपति बालाजी पहुंचता है तो कोई माता के दरबार में तो कोई ख्वाजा से फरियाद करता है.