तीर्थराज प्रयाग के तट पर आस्था और विश्वास का मेला लगा है. शैव और वैष्णव अखाड़ों की पेशवाइयां शंखनाद कर चुकी हैं कि अब 12 वर्ष की प्रतीक्षा का अंत होने वाला है. वह शुभ मुहूर्त महाकुंभ नगरी के द्वार पर दस्तक दे रहा है, जब कुंभ से छलकी अमृत की बूंदें जनमानस का तन-मन पवित्र करने के लिए संगम के पवित्र जल में समाहित हो जाएंगी...