बना रहे बनारस. अपने मंदिरों के घंटों से, पंडितों के शंखों से, अजान की आवाज से, वेदों के मंत्रोच्चार से, अपने शिवालों से, अपने इबादतगाहों से, अपने स्तूपों से, अपने घाटों से, अपनी जरी से, अपनी बनारसी साड़ी और पान से, अपने काशी विश्वनाथ से और अपनी गंगा से, जिसमें नहाकर यहां हर सुबह खुद ही एक संगीत बन जाती है. अब इसी बनारस के होने जा रहे हैं नरेंद्र मोदी.