रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने की पांच दिनों में हुए दो बड़े रेल हादसों के बाद आखिरकार इस्तीफे की पेशकश कर दी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, हादसों में हुई मुसाफिरों की मौतों, चोटों और नुकसान से मुझे भारी तकलीफ हुई है. इससे मुझे गहरा आघात लगा है. मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके घटना की पूरी नैतिक जिम्मेदारी ली है. प्रधानमंत्री ने मुझसे इंतजार करने को कहा है.इतना कुछ हो जाने के बाद भी रेल मंत्री ने सिर्फ इस्तीफे की पेशकश की है. पेश नहीं किया है. पता नहीं पेश करने के लिए और क्या चाहिए. लेकिन सुरेश प्रभु फिलहाल आराम से हैं. उदासी, दुख, संवेदना वगैरह को उनके ट्विटर से ट्रांसलेट करके समझा जाए.पेश और पेशकश तो ठीक है लेकिन सवाल है कि सूरत कब बदलेगी. क्योंकि सरकार की किताबों में जो चल रहा है उससे न मुसाफिरों को सहूलियत मिलनी है और न उसकी जान बचनी है. उन्हें तो बस इतनी सी गारंटी चाहिए कि प्लेटफॉर्म से चलें तो प्लेटफॉर्म पर ही उतारो किसी उखड़ी हुई पटरी पर नहीं.