पलक झपकते ही राजनीति में क्या-क्या बदल जाता है. कल का कवि आज अपनी पार्टी के लिए क्रांतिकारी हो जाता है, तो पार्टी के लिए विश्वास का मतलब अविश्वास हो जाता है. आम आदमी पार्टी में कुमार विश्वास को लेकर यही हो रहा है. कवि के सुर बगावती क्या हुए, पार्टी ने कद पर कैंची ही चला डाली. सईद अंसारी के साथ देखिए खास कार्यक्रम विशेष....