आज के विशेष में जिक्र है अच्छे दिन का. देश के लिए नहीं, बल्कि उस पार्टी के लिए, जिसने 'अच्छे दिन आएंगे' का नारा दिया. पूरे देश में ये नारा सबकी जुबान पर चढ़ा....बीजेपी सत्ता में आई. मगर अच्छे दिन...? इस सवाल पर बहस सियासी हो सकती है, लेकिन बीजेपी के अच्छे दिन कहने के लिए तो एक वजह है ही. अच्छी तरह याद है....अच्छे दिन का वो वादा. चार साल से आस भी उसी अच्छे दिन की रही है. इसे लेकर आशा और निराशा की बात सियासी हो सकती है, क्योंकि विरोधी कहते हैं बीते चार बरस में प्रधानमंत्री का ये वादा सियासी जुमले से ज्यादा कुछ नहीं...अच्छे दिन क्या इसकी परछाई तक देश में कहीं दिखाई नहीं देती. सईद अंसारी के साथ देखिए विशेष.....