मोदी सरकार के अंदर भी जासूस घुस आए हैं. जी हां, पेट्रोलियम मंत्रालय के अंदर कारपोरेट जासूसी का पहला मामला उजागर होते ही अब ये शक और सवाल और मजबूत होता जा रहा है कि तेल के खेल के लिए ऊर्जा और तेल की निजी कंपनियां क्या-क्या हथकंडे अपनाती हैं. डीजल और तेल के सस्ता या महंगा होने की खबर वक्त से पहले मिल जाने से कैसे हजारों करोड़ रुपए इधर से उधर हो जाते हैं. हालांकि कारपोरेट जासूसी का ये राज़ तो खुल गया है मगर इस सवाल का जवाब मिलना अभी बाकी है कि आखिर मोदी सरकार की इस जासूसी का मास्टरमाइंड कौन है?