घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो ये कर लें. किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए. किसी शायर के इस कलाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बखूबी समझते हैं. यही वजह है कि जब उन्हें मौका मिलता है, तो वो बच्चों से मिलते हैं, उनके साथ बातें करते हैं, दंतेवाड़ा के नक्सली इलाकों के बच्चों से जब मोदी मिले तो बच्चों के बीच जैसे खुद बच्चे बन गए मोदी.