राजस्थान की भजन लाल सरकार ने राज्य में 190 स्कूलों को बंद करने का बड़ा फैसला लिया है. इनमें से 169 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं था. इसके अलावा 21 स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज किया गया है. वहीं, पूर्व सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में 17 स्कूल बंद किए गए हैं. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने इन स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं.
दरअसल, निदेशालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, जो स्कूल बंद किए गए हैं उनमें कार्यरत शिक्षकों को अब दूसरे स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा. वहीं, जिन स्कूलों को मर्ज किया गया है, उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उसी स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा. जिसमें उन्हें मर्ज किया गया है.
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क्यों बंद किए गए स्कूल?
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छात्र संख्या शून्य होने पर जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. इस पर जिला शिक्षा अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र के शून्य छात्र संख्या वाले स्कूलों की सूची शिक्षा निदेशालय को भेजी थी. शून्य छात्र संख्या का कारण आसपास में दूसरे सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल संचालित होना बताया गया था. ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारियों ने इन्हें बंद करने के प्रस्ताव दिए.
इन प्रस्तावों के आधार पर निदेशालय ने राज्य सरकार से स्कूल बंद करने की अनुमति मांगी, जहां से अनुमति मिलते ही स्कूल बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए. अब बंद होने वाले स्कूल का कोई अलग से प्रशासनिक अस्तित्व नहीं होगा. सभी कक्षाएं पास के स्कूल में चलेंगी. स्वीकृत पदों के आधार पर जो शिक्षक सरप्लस होंगे, उन्हें नियमानुसार दूसरे स्कूलों के रिक्त पदों पर पदस्थ किया जाएगा.
स्कूल संपत्ति का हस्तांतरण
इन शिक्षकों को वहां पदस्थ किया जाएगा, जहां विद्यार्थी अधिक हैं. जिला शिक्षा अधिकारी इन शिक्षकों को स्टाफिंग पैटर्न (छात्र-शिक्षक अनुपात) के आधार पर समायोजित करेंगे. जब तक स्टाफिंग पैटर्न पर समायोजन नहीं हो जाता, शिक्षकों को पास के स्कूलों में जाना होगा. बंद हो चुके स्कूलों की संपत्ति पास के स्कूल को हस्तांतरित की जाएगी. इसमें स्कूल की जमीन, फर्नीचर, सामग्री सभी हस्तांतरित की जाएगी. आदेश में बंद होने वाले स्कूल के पास दूसरे स्कूल का नाम दिया गया है, जहां संपत्ति हस्तांतरित की जाएगी.